कंगनी में पाए जाते हैं बीमारियों से लड़ने के अनगिनत फायदे, जानें पूरी डिटेल्स

कंगनी का वानस्पतिक सेतिरिया इटालिका (Setaria italica) है। कंगनी या टांगुन को लोग मोटे अनाज के तौर पर जानते हैं। यह दूसरी ऐसी फसल है जो सबसे ज्यादा बोई जाती है। इसकी ज्यादा पैदावार पूर्वी एशिया में होती है। चीन में इसकी खेती बहुत पहले से की जाती है। इसलिए कंगनी को ‘चीनी बाजरा’ भी कहते हैं।

कंगनी से जुड़ी कुछ बातें

कंगनी को पहाड़ी क्षेत्रों में कौणी या कौंणी के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में यह एक पारंपरिक फसल है। कंगनी को दलिया में मिलाकर खाया जाता है। भारत और तमिलनाडु में लोग इसे ‘तिनी’ के नाम से भी जानते हैं। नागालैंड और दक्षिण भारत के छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में इसका प्रयोग अधिक होता है। कंगनी पोएसी कुल का पादप है। कंगनी के पौधे की ऊंचाई 4 से 7 फीट होती है। इसका बीज भी काफी छोटा होता है। कंगनी के बीज लगभग 2 मिलीमीटर के ही होते हैं।

कंगनी को प्रतिवर्ष उगाया जाता है। यह एक गर्म मौसम का फसल है। कुछ प्राकृतिक आपदाओं के वजह से यह फसल पहाड़ी क्षेत्रों से विलुप्त होती दिखाई दे रही है। इसका छिलका काफी पतला होता है जिसे उतारने में आसानी होती है। चीन का यह एक प्रमुख अन्न है। उत्तरी क्षेत्रों में लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, इसलिए लोग इस अन्न का उपयोग ज्यादा करते हैं। वैसे तो अमेरिका और यूरोप में भी इसकी खेती होती है। अमेरिका और यूरोप में मुख्य रूप से इसे चारे के लिए उपजाया जाता है।

कंगनी से कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। यह फसल आपके सेहत से जुड़ा हुआ है। इससे रोटियां, भात, खीर, इडली, दलिया और मिठाई जैसे कई अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। आपको इसमें कई पौष्टिक गुण मिल जाएंगे। जिसको जानने के बाद आप इसे अपने डाइट में शामिल करना चाहेंगे। तो आइए जानते हैं इसके पौष्टिक गुणों के बारे में जो आपको स्वस्थ रखती है।

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कंगनी का सेवन आपके सेहत से जुड़ा है

कंगनी में विटामिन बी1, बी2, बी3, बीटा कैरोटीन, पोटेशियम, एल्कलॉइड, फेनोलिक्स, टॉनिन्स, फलवोनॉइड्स, क्लोरीन और जिंक जैसे पौष्टिक गुण मौजूद हैं। इसमें आयरन कैल्शियम की भरपूर मात्रा पायी जाती है जो आपके हड्डियों को मजबूत रखती है। आप अपने शरीर का वजन कम करना चाहते हैं तो आज ही कंगनी अपने डाइट में शामिल करें। अगर आपको नर्वस सिस्टम की समस्या है तो कंगनी का सेवन आपके लिए फायदेमंद है। मधुमेह के रोगियों को कंगनी का सेवन रोज करना चाहिए।

इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है। आपके शरीर में कोलोस्ट्रोल लेवल को कंट्रोल करने में भी कंगनी मदद करता है। कंगनी को 6 से 8 घंटे भीगा कर बच्चे और गर्भवती महिलाओं को खिलाएं। उनके लिए यह काफी फायदेमंद बताया जाता है। यह कैंसर से लड़ने में भी सहायक होता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।

कंगनी का सेवन करने के बाद अधिक मात्रा में पानी नहीं पीना चाहिए। कंगनी का ज्यादा सेवन करना हानिकारक भी हो सकता है। अधिक मात्रा में प्रयोग करने से थायराइड बढ़ सकता है। अपने डाइट में किसी तरह का परिवर्तन करने से पहले डॉक्टर के सलाह अवश्य लें। लाइफ एक्टिव आपके बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है।

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